पार्ट 2, बात वही
पार्ट 2, बात वही
कोरोना( को ना) पार्ट 2
(भावनात्मक रूप से मजबूत होने की आवश्यकता)
किसी हॉरर मूवी की तरह कविड का फेज टू, दूसरा चरण जारी है।14 अप्रैल 2021डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती, कोविड के साये में आयोजित की गई। पिछले वर्ष की तरह ही हालात हो चले हैं। जहां हम पहले चाइना,इटली व यूरोप के कुछ देशों की बात कर रहे थे इस दौर में हम अपने देश में सर्वाधिक ग्रस्त हैं। कुछ जिम्मेदार लोग ये भी कह रहे थे कि भारत ने सबसे अच्छे से कोविड से लड़ा, इन हालात को देखकर ,दूसरी ही तस्वीर सामने आती है। देहरादून शहर में संक्रमण की दर बहुत ज्यादा हो चली है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच देहरादून में डबल म्यूटेंट वायरस की पुष्टि हुई है।
हमारे देश में कहा जा रहा है कोरोना वायरस की दूसरी फेज शुरू हो गया है। और इसके परिणाम भी हमें देखने सुनने को मिल रहे हैं। महाराष्ट्र ,दिल्ली, उत्तराखंड व अन्य राज्य में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है । मृत्यु का आंकड़ा भी धीरे-धीरे करके बढ़ रहा है। ज्यादातर 50 वर्ष से नीचे के व्यक्तियों को संक्रमित कर रहा है, कुछ केस में कम उम्र में भी अपना असर दिखा रहा है, और जो पहले से किन्हीं बीमारियों से ग्रसित थे, उनको ज्यादा इफेक्ट कर रहा है।
10 व 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को बाहर ना निकलने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है।
भारत सरकार द्वारा कोविड-19 का टीकाकरण भी जोरों शोरों से चल रहा है। आज 20/4/2021 उसको 18 साल से ऊपर के व्यक्तियों को भी लगाने की अनुमति दे दी गई है।
कोरोना के पहले फेज में जो उथल-पुथल और अव्यवस्था थी, उनसे हमने कुछ नहीं सीखा । और कमोबेश वैसी ही कुछ परिस्थितियां बनती दिखी। सरकारी इंतजाम उस लेवल के हम नहीं कर पाए या सरकार को भी समय नहीं मिल पाया क्योंकि पहला फेज ही लगातार बना हुआ है,,, ये उससे आगे का चरण है।
19/4/21 केंद्रीय विद्यालय संगठन के कुछ कर्मचारियों की भी इस कोरोनावायरस से जान गई , देहरादून संभाग में भी हमारे टीचर केंद्रीय विद्यालय आईएमए व भेल हरिद्वार से भट्ट मैडम का देहावसान हुआ । मेरे विद्यालय से शिक्षक साथी बीरपुर में एक सर व मैडम भी पॉजिटिव पाए गए,अभी ठीक है। ये वो है ,जिन्होंने सूचना दी ,या जिन्हीने चेकअप कराया।
कुछ टीचर फीवर से ग्रषित थे, लेकिन कोविड नेगेटिव आये, कुछ ने नहीं भी कराया लेकिन ठीक हो गए।
कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में चलाने का आदेश विद्यालय स्तर पर दिया गया। ये सब पिछले वर्ष की तरह से रिपीट हो रहा है।
इस महामारी को देख सुनकर लोग भी उक्ता गए हैं। अब ज्यादा इसकी चर्चा नहीं करते, अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं ,सभी लोग अपने से सावधानी जरूर ले रहे हैं।
रेमेडीसवीर इंजेक्शन जिससे (जीवन रक्षक, माना जा रहा) की कालाबाजारी व किल्लत महसूस की जा रही है। कुछ लोग महामारी के समय भी गलत कार्यों को करने से बाज नहीं आते। सरकार को जरूर ऐसे लोगों से सख्ती से निपटना चाहिए।
मेरे कईं परिचय वालों को कोविड संक्रमण इस बार हुआ, जिसमें मेरे बहनोई साहब भी है, वो अब रिकवर हो रहे हैं। श्री राहुल गांधी भी कोविड संक्रमण से ग्रषित हुवे,राजनीति के वार,पलटवार इस पर भी होता रहा, ये एक काम हमेशा से अच्छे से व समय पर होता है।
20/4/21 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश को संबोधित किया। कुछ महत्वपूर्ण बातें:-
लॉक डाउन को अंतिम विकल्प बताया।
मेडिसिन की व, वैक्सीन की उपलब्धता बढाई जा रही है।
जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलिए, ऐसा आह्वान किया गया।
एक मई से 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति को वैक्सीन उपलब्ध होगी।
हमारे पास कोविड से लड़ने की जानकारी व वैक्सीन उपलब्ध है।
21/4/21 रामनवमी को सादगी से मनाया गया। सब यही प्रार्थना कर रहे ,जल्द हालात ठीक हो जाए।
आस्था का पर्व महाकुंभ भी जल्द खत्म हो गया, कुछ दिन तो उत्साह रहा,परंतु कोविड केस बढ़ने के कारण, उत्तराखंड सरकार ने सख़्ती बरती,ये भी एक कारण रहा, वहीं कुछ अखाड़ों ने भी जल्द कुंभ आयोजन जल्द समाप्त करने की घोषणा की। अब हरिद्वार (हर की पौड़ी) लगभग खाली हो चुका है, जहां हर दिन हजारों, लाखो श्रद्धालुओं का आगमन पवित्र स्नान के लिए आते थे।
मेरे पुराने स्टूडेंट्स की शादी भी इसी बीच है, जाना मुश्किल होगा। बात जब जीवन पर संकट की हो, सावधानी सबसे जरूरी बात होनी चाहिए।
पूरे देश में कोविड मरीज के लिए ऑक्सीजन की किल्लत हो गई, एक, दो स्थानों पर ऑक्सीजन की किल्लत के कारण मौतें भी हो गई। कोर्ट ने सख्त ,व तल्ख टिपणी व आदेश दिए।
हमारे शिक्षा मंत्री भी संक्रमित पाए गए, अब सामान्य सा लगने लगा, जो की अच्छी बात बिल्कुल नहीं। लेकिन ये सब मेरे,आपके चाहने से नहीं होने वाला।
प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल अर्थ डे के रूप में मनाया जाता है, क्लास के स्टूडेंट्स ने कुछ ड्राइंग बनवाए गए व अपने यू ट्यूब पर अपलोड किया गया।
एक बात पर अफसोस होता है, पहले फेज में पीपीई किट अस्पताल की समस्या थी,इस फेज में ऑक्सीजन, बेड की किल्लत हुई? भुगतान आम आदमी को ही करना होता है। माना मौत निश्चित है, लेकिन आकिस्मिक, ये हो हत्या केके समान है। अपने नागरिकों के मूलभूत सुविधाओं को देना सरकारों का काम है।
अपवाद ही सही कुछ डॉक्टर स्टाफ का रवैया मरीजों व उनके परिवारों के साथ अच्छा नही रहा। सरकारी सुविधाओं का अभाव व जनसंख्या ज्यादा कारण हो सकता है। लेकिन ये सब आंकड़े सरकारों के पास बहुत पहले से होते हैं।
निश्चित रूप से अच्छे लोगों व कार्यों की लिस्ट बहुत लंबी है, जिनका कभी जिक्र भी नहीं होता, वो हर स्तर पर हैं, उनको सलाम। एक सप्ताह तक देहरादून व कुछ अन्य शहरों में लॉकडाउन बढ़ाया गया 3 मई तक। जब व्यवस्था ठीक ना हो, लॉकडाउन ही उपाय ठीक दिख रहा है।
एक साल पहले जिस गति से कोविड टेस्ट यूरोप में हो रहे थे, और हम कह रहे थे, वहाँ की सरकार कोविड को नियंत्रित नहीं कर पा रही है, वो गति कोविड टेस्ट की अब हमारे यहाँ है। जिससे संख्या भी ज्यादा दिख रही है।
तुम्हें ये लड़ाई खुद ही लड़नी होगी
क्योंकि लोग बुरे वक़्त में सिर्फ
सलाह देते है ,साथ नहीं
मेरे ताऊ जी का 28/4/21 लगभग 80 वर्ष में देहांत हो गया ,बहुत ही सहज प्रवृत्ति के निरंकारी सेवक थे। बातों में अच्छी बातों के सिवाय कुछ नही। मत भेद जरूर लोगों से थे ,मन भेद कभी नहीं किया। मुझे बहुत स्नेह करते थे, कभी भी घर गए तो बिना कुछ खाए पीये नहीं आने दिया। हमेशा साइकिल चलाते थे। अंतिम संस्कार में काफी परिजन सम्मलित हुए, समय भी ऐसा है, लेकिन अपने बीच से कोई जाता है तो ,रुका भी नहीं जाता।
मेरे पापा का भी स्वास्थ्य ठीक नही है, कहा खांसी हल्का बुखार व कमजोरी है। सभी चेकअप नार्मल है, कोविड का टेस्ट नहीं करा रहे हैं। डॉक्टर भी मना कर रहा है, की अब ठीक हो रहें हैं, मन मे वहम मत डालो।
वास्तविक, मेरे पापा की तबीयत रात 30/4 को खराब हुआ , छोटे भाई का फ़ोन आया, सब जगह फ़ोन मिलाया कहीं बेड खाली नहीं का जवाब आया। आप अंदाजा लगा सकते हैं। खैर कुछ दोस्त साथी हमेशा आपके लिए तैयार रहते हैं, मानवता जिंदा है, निराश होने की कोई बात नहीं।
डर की भी एक सीमा, मियाद होती है, भारत के लोग कोविड को अपनी इच्छा शक्ति, व जीवटता से जरूर जीत लेंगे, बाकी काम तो मेडिकल साइंस कर ही रही है। लेकिन इस बीच जो लोग अपने परिजन को खो रहे है, उनकी पीड़ा का अंदाज लगाना मुश्किल है। सरकार की तैयारी पर तो प्रश्न उठा सकते हैं,अस्पताल क्यों नही है, हैं तो इतने महंगे क्यों? परन्तु हम क्या कर सकते है ,यह सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसा वक्त कमियों को गिनाने का नहीं हो सकता, बात देश पर आई विपदा की है, बस सरकारों से ये अनुरोध जरूर रहेगा, आप अपना काम आने वाले समय को देखते हुए, व भविष्य के लिए तैयार रहने की आवश्यकता के अनुसार कार्य करें।
कई बार लगता है, कोविड से बचना कोई बड़ी बात नहीं मास्क लगाए ,उचित दूरी बनाकर, हाथ धोते रहें, बस सामान्य सी चीजें दिखती हैं। लेकिन बात इतनी भी सामान्य नहीं है, क्योंकि कई तरह के शोध व समय समय पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह वायरस कई तरह से हमारे शरीर में पहुंच रहा है।
कोविड कुछ समय बाद खत्म हो जाएगा, या उसके अनुसार रहना सीख लेंगे। लेकिन इन परिस्थितियों का असर हमारे मन व शरीर पर दूरगामी प्रभाव डाल रहा है, इससे बचने का एकमात्र रास्ता हमें भावनात्मक रूप से मजबूत रहकर ,दूसरों की मदद करनी होगी। कोविड-19 से बीमार होने वालों का आंकड़ा, मरने वालों का आंकड़ा सही है। लेकिन हमें उनको देखने का नजरिया भी बदलने की आवश्यकता होगी, क्योंकि मरने वालों की संख्या भी बहुत ज्यादा नहीं है । जबकि उनका असर जिंदा रहने वाले लोगों पर ज्यादा और दूरगामी हो रहा है। उसके बाद कि स्थिति पर अभी से काम होने चाहिए, नहीं तो बुरे समय की कड़ी ऐसे ही बनी रहेगी।