श्रम का महत्व
श्रम का महत्व
श्रमेण लभ्यं सकलं न श्रमेण विना क्वचित्।
सरलाङ्गुलि संघर्षात् न निर्याति घनं घृतम्।।
बिना श्रम के कोई भी कार्य सिद्ध नही हो सकता है। ये हम सब जानते हैं, परखी हुई बात है। हमारे ग्रंथों में भी मेहनत व श्रम को वरीयता दी गई है। सोनाली एक विद्यालय में सीनियर क्लास की छात्रा है । विद्यालय की कक्षा में उद्बोधन के समय " श्रम की महत्ता" पर दिए उद्बोधन से छात्र की सोचने की दिशा बदल दी।
सोनाली बड़े ध्यान से इन सब बातों को सुन रही थी, भारत में श्रम का क्या महत्व है। अन्य विद्यार्थी सामान्य दिनों की तरह ही कक्षा को ले रहे थे। हम भारत के लोग 85% अन-ऑर्गेनाइज सेक्टर में रोजगार पाते हैं। 15 परसेंट ऑर्गेनाइज सेक्टर से रोजगार प्राप्त करते हैं ,जिनकी स्थिति बहुत अच्छी है, तुलनात्मक रूप से, मान सम्मान व आर्थिक रुप में।
गांधीजी के विचार और दर्शन जो उन्होंने अपने जीवन में धारण किया और एक रोल मॉडल प्रस्तुत किया, देश के सामने । कैसे अपना जीवन श्रम व उद्यमिता विकास के साथ गुजारना चाहिए जिससे श्रम और शारीरिक विकास दोनों साथ-साथ हो सके। डॉ बी आर अंबेडकर जी की के प्रयास दोनों ने कानून मंत्री व श्रम मंत्री रहते हुए यहां के लोगों के लिए, ताकि श्रमिक भी सम्मान के साथ जीवन को जी सकें। क्योंकि वर्ण व्यवस्था के कारण भी कुछ समाज में विसंगतियां पैदा हुई इसमें खास वर्ग को सिर्फ काम करने के लिए या हेल्पर के तौर पर देखा गया था। बाबा साहब द्वारा यूनियन, ट्रेड यूनियन की स्थापना करने में जो योगदान रहा उससे भी काफी स्थिति बेहतर हुई है।
सोनाली प्रधानमंत्री मोदी जी से बहुत प्रभावित है वह स्केल इंडिया जैसे प्रोग्राम के बारे में भी जानना चाहती है। स्वच्छ इंडिया, स्वस्थ भारत इन सब परिकल्पना उसे भी छात्रा अभिभूत है, उसके दिमाग में बहुत सारे प्रश्न प्रवाहित होते रहते हैं। क्योंकि विद्यालय में समय-समय पर प्रधानमंत्री जी का उद्बोधन सुनवाया जाता है। सोनाली अब इन मुद्दों को अलग नजरिए से देख रही है। वह अपनी माता जी के कामों को एक श्रम के रूप में देखती है, जिसका उसको कोई मेहनताना या अप्रिशिएसन नहीं मिलता है। अब वह अपनी दिनचर्या में अपने माताजी का कुछ कार्यों में हाथ बटाती है, वह उसका पहले से ज्यादा सम्मान करती है। श्रम से सम्बंधित सूचनाओं को लेने के लिए विद्यालय की लाइब्रेरी व अखबारों को भी देखती है।
इसका असर -एक प्रसंग जो सोनाली ने कक्षा में बताया, भगवान राम द्वारा वानरों, गिलहरी , जटायु के श्रम के बल से लंका पर विजय पाई, मां सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने में सहायता की। माना जाता है कि गिलहरी पर धारी के निशान भगवान राम के हाथों से गिलहरी को सहलाने के कारण है, उसके प्रमाण है। वानरों के प्रतिनिधि हनुमान जी राम के साथ पूजनीय है, ये श्रम को वरीयता देने के कारण ही है। अब सोनाली का यह नजरिया आध्यात्मिक रूप से भी परिवर्तित रहा है। जोकि अध्यापकों को आनंदित करता है। सोनाली अब आसपास के परिवेश में काम कर रहे ठेलें वाले , जूता बनाने वाले, छोटे दुकानदार सफाई कर्मी , इलेक्ट्रीशियन,,प्लंबर ,मैकेनिक ,माली , सुरक्षा गार्ड इन सब के बारे में अलग नजरिया रखती है। व उनके लिए कुछ और बेहतर कर गुजरने की चाहत मन में रखती है। क्योंकि इससे पहले वह इनके कार्यों की महत्व नहीं समझती थी । वह इनके कार्यों को दोयम दर्जे का मानती थी। लेकिन तार्किक रूप से यह जानने के बाद कि देश और समाज को आगे बढ़ाने के लिए सभी कार्य कुशल लोगों की आवश्यकता होती है।
अब सोनाली विद्यालय में शिक्षकों के कार्यों को देखती है । विभिन्न पद पर क्या क्या कार्य किया जाता है, उनकी भी जानना व सफाई कर्मी कितने मेहनत व समय विद्यालय में देते हैं व उनका मेहनताना कितना है । उसको लेकर भी वह अक्सर प्रश्न करती है? जागरूक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में एक प्रयास छात्रा द्वारा किया जा रहा है। क्योंकि अभी सोनाली कम उम्र में गहनता से इस विषय में सोच रही है। कहीं ना कहीं वह भी ठीक नहीं है। क्योंकि इस समाज का हम एक हिस्सा है और समय आने पर ही हम उससे बड़ा कर सकते हैं । उम्र के इस पड़ाव पर छात्रा में जिज्ञासा उत्सुकता और सम्मान की भावना होना ही एक बड़ी बात है।
कई बार आपस में बातचीत होने के पश्चात सोनाली को समझाया गया। अति उत्सुकता भी ठीक नहीं है, आपके अपने स्तर से आप अपना कार्य करते रहें । लेकिन अपना मुख्य उद्देश्य अध्ययन का उसको कमी ना करें । व आपने क्या उद्देश्य अपना बनाया है ,उस पर कार्य पहले करें। तत्पश्चात आगे के कार्यों के बारे में निर्णय लें।
सोनाली एक होनहार छात्रा है , बहुत ही ध्यान से अध्यापकों को सुनती है। जब सोनाली से उसके आगे के भविष्य के बारे में पूछा गया। वह सोच विचार करने के पश्चात , बताती है कि वह एक प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहती है । और यदि उसको मौका मिले तो वह राजनेता भी बनना चाहेगी ,वह चाहती है कि हमारे देश भारत में 85% लोग अगर अन ऑर्गेनाइज्ड क्षेत्र में रोजगार पाते हैं तो ,उनके कार्यों की पहचान व महत्ता कैसे कम हो सकती है । उनको वह सब सुविधाएं जो और क्षेत्र के कर्मचारियों (सरकारी कर्मचारियों) को मिलती हैं उनको भी मिलनी चाहिए जैसे की छुट्टियां, मेडिकल सुविधाएं आदि आदि। इसके लिए ठोस कानून नियम व सोच जरूर बदलना चाहेगी। बेरोजगारी ना हो इसके लिए भी वह कुछ बनने के पश्चात समाज में योगदान देना चाहती है।
महिलाओं के लिए विशेषकर और आगे बढ़कर इस क्षेत्र में उनकी भूमिका को सबके सामने लाना चाहती है। उनको आर्थिक संपन्नता के साथ मान सम्मान दिलाना अब सोनाली के मुख्य लक्षणों में से एक है।
सोनाली को आने वाले सुखद भविष्य की ढेरों शुभकामनाएं।