प्रतिफलन
प्रतिफलन
गोपू बेटा आज सैटरडे है माॅल चलेंगे। अपने जल्दी काम निपटा लेना। कहकर शैल घर के अन्य कामों में लग गई। गोपू उसके यहाॅं बेटे प्रियांशु के लिए रखा गया नौकर है। लगभग 6 माह तक कंपनी से ही शैल को मैटरनिटी लीव नाम से छुट्टी मिल गई थी। इसके बाद से गोपू ही प्रियांशु को सॅंभालता है। कोरोना काल में वैसे भी वर्क फ्रॉम होम मिला तो शैल अपने बेटे के साथ ही रहती है। गोपू उसके सारे काम करता। बस शैल प्रियांशु को नहलाती स्वयं थी। मालिश करना, डायपर बदलना ,दूध पिलाना, गोद में रखना और पार्क में घूमा कर लाना गोपू की जिम्मेदारी थी। गोपू भी बड़ा वफादार, सीधा-साधा और मेहनती लड़का था। दो वर्ष का प्रियांशु हो गया लेकिन गोपू ने शिकायत का कोई मौका ही नहीं दिया। समझो पन्द्रह दिन की ट्रेनिंग ने उसे कुशल चाइल्ड केयर टेकर बना दिया। इस समय गोपू पूरे सौलह वर्ष का हो चुका है। साडे चौदह साल का था जब एजेंसी के माध्यम से उसे बुलाया गया था। रात के साढ़े आठ बजे तक गोपू प्रियांशु के साथ रहता वर्क फ्रॉम होम होने के कारण शैली को भी बच्चे से दूरी का एहसास ही नहीं होता था। साढ़े दस बजे घर बर्तन मांजने वाली, झाड़ू पोछा करने वाली आती थी कपड़ों के लिए ऑटोमेटिक मशीन थी जीवन बड़ी सरलता से चल रहा था। शाम के 4:00 बजे शैल गोपू और प्रियांशु के साथ नोएडा के एड्वेंट मॉल पहुंची वैसे तो गोपू मालकिन के साथ माॅल पहले भी आया था लेकिन आज का दृश्य ही कुछ निराला था। शायद किसी के जन्मदिन की पार्टी चल रही थी। लड़कियाॅं बिल्कुल परी या तितलियाॅं बनकर आ रही थी। सभी लंबी-लंबी गाड़ियों में थी। फैशन चरम पर था।
कोई नेकलेस कोई स्लीवलेस ड्रेस पहनी थी। शरीर पर बारह मीटर का कपड़ा भी था लेकिन छुपाने वाले अंग को उजागर करने में ही ड्रेस की फैशन डिजाइनर वाली गरिमा पूर्ण थी। तभी एक लड़की एक लड़के की बाहों में बाहें डालकर मॉल में उपस्थित हुई। शायद फैशन की और प्रदर्शन करने की सारी सीमाएं पार कर दी गई थी। ड्रेस का गला भी नाभि तक था। वक्ष के बीच में रंग-बिरंगा टैटू बनवाया हुआ था। लड़की का रंग दूध जैसा गोरा था। टैटू दिखाने के प्रलोभन में ही शायद उसने इतने बड़े गले वाली ड्रेस पहनी थी। दांई बाॅंह के ऊपर भी कंधे से नीचे सुंदर टैटू था। पलके लंबी-लंबी, बाल सुनहरे और पीले पीले, होठों पर ड्रेस से मैच करती नारंगी रंग की लिपस्टिक। बालों में मोतियों की कतारें। उसे देखकर कोई कह ही नहीं सकता था कि वह इस लोक की लड़की है। गोपू के लिए यह अद्भुत नजारा था।
मिलने वाले वेतन से पैसे जोड़कर उसने किस्तों पर स्मार्टफोन भी ले लिया था। पूरे दिन तो वह प्रियांशु की सेवा में रहता था लेकिन दस बजे के बाद उसका व्यक्तिगत जीवन प्रारंभ हो जाता। मालकिन के थ्री बी एच के फ्लैट में नौकर के रहने के लिए भी एक छोटा सा कैमरा और अटैच लैट्रिन बाथरूम था। वह बारह बजे तक मोबाइल देखता।मोबाइल पर सब प्रकार की सामग्री उपलब्ध। साधु संत बनने वाले भी और कामांध करने वाली वीडियो भी । व्यक्ति अपनी सोच और चाहत के अनुसार सामग्री चुन लेता है। गोपू की किशोरावस्था। फेसबुक यूट्यूब इंस्टाग्राम पर अश्लील विज्ञापन। एक अगर गलती से भी स्पर्श हो जाए तो प्रोग्राम की बाढ़ आ जाती है। कंपनी वालों ने जानबूझकर मोबाइल को इतना सरल बना दिया कि बच्चा भी मोबाइल चलाने में कुशल। किसी प्रशिक्षण की आवश्यकता ही नहीं।
गोपू में भी यौवन की उमंगे लहरें उठ रही थी। उस लड़की का सौंदर्य देखकर तो गोपू पागल सा हो गया। पचास प्रतिशत बलात्कारों के तो यही कारण है कि सूरज तो हाथ आता नहीं चांद तारों को ही नोंच डालते हैं। गोपी को जिस लड़की ने उत्तेजित किया था वह करोड़पति घर की अप्सरा थी। उसे तो क्या उसकी परछाई को भी सपने में भी गोपू छू नहीं सकता था लेकिन उसका परिणाम भुगतना पड़ा एक मासूम कली को। बर्तन मांजने के लिए जो बाई आई थी उसी की बेटी के साथ जो मात्र ग्यारह वर्ष की थी, गोपू ने रेप कर लिया और धमकी दी कि यदि अपनी मां से या किसी और से जिक्र भी किया तो मार डालेगा। लहूलुहान बच्ची मुॅंह से क्या बोलते उसकी दशा ही बोल रही थी। भीड़ इकट्ठी हो गई पहले भीड़ ने गोपी को पीटा फिर पुलिस को दे दिया। पुलिस भी पूछताछ करने लगी। गोपू के कमरे की तलाशी ली गई। मोबाइल स्मार्टफोन कब्जे में लिया। फोन की साइबर क्राइम वालों ने जांच की। परिणाम यही निकला भोले भाले गोपू को मोबाइल ने बिगाड़ दिया। गोपू के बयानों से सिद्ध हो गया कि उच्च वर्ग की तितलियाॅं स्वयं तो सुरक्षित रहती हैं। बड़ी-बड़ी कारों में घूमती हैं लेकिन जो जहर वह समाज में फैला रही हैं उसकी कड़वाहट का परिणाम मासूम भोली भाली गरीब लड़कियों को भुगतना पड़ रहा है। गोपू के बयान सुनकर शैल भी फफक-फफक कर रो पड़ी।
उसके मुंह से निकला "मेरा गोपू तो मासूम बच्चा था उसे इन तितलियां ने अपराधी बनाया लेकिन उन तितलियों को क्या कोई सजा मिलेगी? गोपू को सोसाइटी के दबाव के कारण नौकरी से निकाल दिया गया। केस चला। नाबालिक होने के कारण सजा तो कम मिली। सुधार गृह में भेज दिया गया लेकिन गरीब माॅं-बाप का सहारा टूट गया क्योंकि अब एजेंसी ने उसको अपने माध्यम से भेजने के लिए साफ बना कर दिया। उस मासूम पर बलात्कारी का टैग था। हालात को कौन देखता है सजा तो अपराधी को ही मिलती है लेकिन शैल का मन कर रहा था कि वह चीखें चिल्लाए "इन रील बनाने वालों को, वीडियो बनाने वालों को,वेव सीरीज बनाने वालों को सजा क्यों नहीं होती ? समझ में नहीं आता। अश्लीलता फैलाने वाली लड़कियों को कोई कुछ नहीं कहता। केवल अंग प्रदर्शन करती हैं फैशन के नाम पर, उन्हें सजा क्यों नहीं ? क्यों नहीं?