बैंगनी रंग का दुपट्टा
बैंगनी रंग का दुपट्टा
बैंगनी रंग का दुपट्टा-यह भी कोई विषय है जिस पर कहानी लिखी जा सके! मन ही मन खीझ रही थी -जानती हूँ मेरे लिखने न लिखने से फ़र्क नहीं पढ़ने वाला पर एक आदत समझिए ,एक ज़रूरत! लिखे बगैर चैन नहीं और लिखने के लिए सही plan नहीं!
शीर्षक कुछ अटपटा लग रहा था-सिर्फ़ और सिर्फ़ दो
बातें थी इस शीर्षक के हक में .बैंगनी दुपट्टे के हक में! बैंगनी रंग मुझे बहुत बहुत पसन्द है बचपन से ही..राजा महाराजाओं के परिधान का राजसी प्रतीक, एक गहराई ,सौम्यता, गांभीर्य लिए बैंगनी रंग की शान के क्या कहने! और दूसरा मैंने अपने लिए बैंगनी रंग के चार पांच दुपट्टों का stock जमा कर रखा था ताकि कभी भी इस रंग के दुपट्टे की कमी न अखरे!
उनमें मेरा सबसे पसंदीदा था एक प्यारा टस्सर सिल्क का दुपट्टा जो हर नज़र को अनायास ही आकर्षित करता था! दुपट्टे की वजह से मुझ पर भी लोगों की नज़र पढ़ जाती और मुझे बहुत खुशी होती कि मैं भी कभी कभी (बैंगनी दुपट्टे की बदौलत) smart लग सकती हूं। मेरी हीन भावना समझिए या कुछ भी ,पर वह ख़ास बैंगनी दुपट्टा मेरी पहचान बन गया था..मेरे लिए smartness का रहस्य समझिए!
ख़ैर, सारा परिवार फूफा जी के बेटे की शादी की तैयारी में जुटा हुआ था! साथ ही साथ सुन्दर कपड़ों की शॉपिंग ज़ोर शोर से चल रही थी! सब मुझे सलाह दे रहे थे कि इस बार मुझे किसी और रंग का सूट या साड़ी लेनी चाहिए! वैसे एक और छोटी सी secret...मैं ज़िद्दी भी हूँ थोड़ी -मेरी ढिठाई किसी के आड़े नहीं आती पर मुझे अपने मन की करने से कोई रोक नहीं पाया आज तक! मुझे बस बैंगनी रंग का दुपट्टा लेना ही लेना था अपने एक खूबसूरत सूट के साथ!
सारा मार्केट छान मारा पर मुझे अपने पसंद का रंग नहीं मिला।मैं निराश ...पर थोड़ा दिमाग लड़ाने के बाद लगा कि अब ज़्यादा माथापच्ची करने की ज़रूरत नहीं अपने बैंगनी टस्सर दुपट्टे को नया सा बनाकर वही शादी में ओढूंगी!
सारी तैयारियां हो चुकी थीं..पांच दस मिनट में निकलना था! सभी सज धज के बड़े सुन्दर लग रहे थे और मैं भी खुश थी!
पर अचानक दुपट्टे पर एक दो जगह हल्की सी सिलवट दिखी और मैंने सोचा कि इस्तरी कर लूँ ज़रा तो ठीक लगेगी!
मगर काटो तो खून नहीं...इस्तरी थी कुछ ज़्यादा ही गरम और दुपट्टे पर रखते ही चिपक कर बड़े से छेद को अपने दुपट्टे में देख मैं रो पड़ी! अब पांच दस मिनट में क्या किया जा सकता है...आँखें लाल, मेरा बैंगनी दुपट्टा बेहाल और सभी परेशान...मेरी वजह से!
उस दिन मैंने शादी attend नहीं की और मेरे लिए मेरे साथ घर पर रह गई मेरी बहन...
आज भी यह किस्सा मेरी आंखों के आगे आता है तो उतना ही भावुक कर जाता है।
आज तक मैं यह नहीं भूली कि मेरी बहन तब से आज तक उसी तरह मेरा साथ दे रही है...
बैंगनी दुपट्टे ने आज वह यादें ताज़ा कर दीं!