Meena Mallavarapu

Abstract Comedy Inspirational

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Meena Mallavarapu

Abstract Comedy Inspirational

दायरों की खोज

दायरों की खोज

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एक छोटी सी कहानी याद आती है जब भी मैं अपने लेखन, प्रकाशन, उससे जुड़ी हुई हर पाठक की प्रतिक्रिया और

उन प्रतिक्रियाओं से जुड़ी अपनी ख़ुद की छोटी बड़ी अनगिनत शंकाओं को लेकर अपने उल्टे सीधे ख्यालों की दुनिया में कदम रखती हूं।

सबसे पहले तो यह बता दूं आपको कि मेरा लेखन और मैं उस मुकाम पर हैं जहां से अपने आगे फैला एक विशाल ,अद्भुत मंज़र दिखाई देता है।

समुन्दर में डुबकी लेती एक छोटी सी नैया जो लहरों के थपेड़ों से खेल रही है----थोड़ी सी सहमी हुई लेकिन उल्लास और जोश से भरी हुई! या उस पंछी की तरह जिस में पहली उड़ान भरने की आतुरता और जिज्ञासा तो है पर कहीं दिल के एक छोटे से कोने में दुबकी हुई एक वह छोटी सी आवाज़

भी है जो उसे पंख फड़फड़ा कर, खुले आसमान में उड़ने और अपनी किस्मत आज़माने की खुल कर इजाज़त देने से हिचकिचा रही है।

खैर, अब वो कहानी-

एक महाशय , जिन्होंने बस हाल ही में दो चार कहानियां और एक दो उपन्यास छपवाए और कुछ लोगों से प्रशंसा भी हासिल की आज और बहुत कुछ कर गुजरने के लिए तत्पर थे। एक ओर मन में ढेर सारी themes उथल पुथल मचातीं तो साथ ही साथ उन themes के रेशों की गुत्थियां सुलझा कर उन्हें सजा - संवार कर एक सांचे में ढालने की कशिश और कोशिश बनी रहती।

ट्रेन में बैठे, हाथ में अख़बार पढ़ने की तैयारी अभी शुरू ही की थी कि उनकी नज़र बगल में बैठे शख़्स पर पड़ी।

अच्छे पढ़े लिखे, smart, थोड़े reserved किस्म के लग रहे थे। यह भी ,लग रहा था, कुछ पढ़ने की तैयारी में है। आखिर दो तीन घंटे के सफ़र के लिए एक दिलचस्प किताब के अलावा क्या चीज़ हो सकती है!!

हमारे protagonist महाशय अपना कौतूहल control न कर सके। अख़बार के पीछे से एक टेढ़ी नज़र से उन्होंने पुस्तक का शीर्षक पढ़ने की कोशिश की।

पहला reaction---

अरे ! यह जनाब तो मेरा उपन्यास पढ़ने की तैयारी कर रहे हैं! वाह ,क्या कहने! लगता है मेरे उपन्यास धड़ाधड़ बिक रहे हैं! name and fame...oh ,I am right there!और मेरे लिए यह कितना सुंदर मौक़ा है,excellent experience, कि मैं स्वयं अपने अजनबी पाठक की प्रतिक्रिया को देख सकता हूं (जाने पहचाने लोग, औपचारिकता निभाने की कोशिश में बेचारे अपने असली जज़्बातों को ताक पर रखकर कुछ प्रशंसा पूर्ण शब्द उगल कर छुट्टी पाते हैं) अब अपनी रचनाओं के impact का अन्दाज़ा मैं ख़ुद लगा सकता हूं! यही तो है असली litmus test!

अब नज़र डालते हैं उस पाठक थर जो पहले ही कुछ serious type का बन्दा प्रतीत होता था---ऐसा लग रहा था कि हाथ में विराजमान उपन्यास उस के मूड को कुछ बदल दे, थोड़ा बहुत हल्का कर दे! लेकिन यह क्या?

चेहरा सिने स्टार्स जैसे, तरह तरह के भाव व्यक्त करने लगा। बीच बीच में दो चार अशिष्ट शब्द भी मुंह से शायद अनायास ही निकल गए--

बीस पच्चीस मिनट बाद लगा उसके धीरज का बांध टूट पड़ा। वैसे पहले ही करेला, ऊपर से नीम चढ़ा! पुस्तक को सीट पर पटकते हुए बोला 'पता नहीं कहां कहां से चले आते हैं-- लिखने का शौक चर्राया है। what a waste of time!

हमारे लैखक महाशय ज़रा सा हिल तो गए पर थोड़ी सी हिम्मत की और पूछा "'क्या बात है सर, नौवल पसन्द नहीं आई?'"

'पसंद आने के लायक कुछ तो हो! मेरी समझ में नहीं आता कि कोई इतना बड़ा egoistic हो सकता है कि दुनिया पर अपने थर्ड रेट विचार इस तरह थोप दे।'

''क्या आप यह किताब मुझे देंगे? अभी लम्बा सफ़र है, देखूं तो सही ! आइ विल पे यू!''

''किताब आपको मुबारक--पेमेंट करने की कोई जरूरत नहीं'" कह कर उस शख्स ने लेखक को उसकी किताब तो थमा दी पर बेचारे हमारे रचनाकार प्रोटैगोनिस्ट का सपनों का किला ढह गया!

इस धक्के से संभलने के लिए कुछ समय तो लगेगा, पर पांव ज़मीन पर रख, नए सिरे से शुरुआत करने का प्रयास तो अवश्य करेंगे! समानभूति का अहसास हो रहा है----क्यों कि आज यही मेरी परिस्थिति है।

यह किस्सा हमारी डिग्री कोर्स के एक निबंध का छोटा सा भाग था। कई वर्ष मैंने इसे पढ़ाया और खुद ब खुद बहुत हद तक internalise भी हो गया। शायद Lynd का निबन्ध था।

आज अपने को इस संदर्भ में देखती हूं तो बार बार अपने को

एक दायरे में रहने की हिदायत देती हूं। रचनाकार को लगता है कि उसकी रचना का जवाब ही नहीं---शेक्सपियर और कालिदास तो बस हमारा ही इन्तज़ार कर रहे हैं।

रचना जगत में पहला कदम---ढेर सारी मेहनत, संवेदनशीलता, कल्पना की ऊंचाई और उड़ान, साथ ही साथ नज़रें, जो धरती पर टिकी हुई हों इनकी दरकार है।

अपने में खो जाना अति सुन्दर अनुभव है --- पर यह अपेक्षा कि सभी ,सभी ,सारी दुनिया हमारे इस अनोखे अनुभव की भागीदार होगी, शायद नादानी ही है।

इसलिए आंखें ,दिल और दिमाग कल्पना की कितनी ही ऊंची उड़ान भरें पर पैर धरती पर टिके रहें तो रचना और

रचनाकार दोनों की गरिमा बनी रहेगी।



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